वीडियो जानकारी:<br /><br />११ मई, २०१९<br />अद्वैत बोधस्थल,<br />ग्रेटर नॉएडा<br /><br /><br />प्रसंग:<br /><br />औगुण देख न भुल्ल मियां रांझा,<br />याद करीं उस कारे नूं।<br />मैं अनतारू तरन न जाणां,<br />शरम पई तुध तारे नूं।<br /><br />अर्थ: मियां रांझा, अवगुण देखकर मुझे भूल मत जाना, बल्कि उस स्मरणीय काम को याद रखना कि श्रष्टि रचना के समय श्रष्टि में भेजते हुए वचन दिया था कि तुम्हें वापस लाने मैं स्वयं जगत में आऊँगा। मुझे तैरना नहीं आता, मैं भला ये भवसागर कैसे पार करूँ? मेरी लाज तुम रख लो। मुझे तैराकर पार कर लो और मुझे उबार दो।<br /><br />~ बाबा बुल्लेशाह<br /><br />क्या मुक्ति पाना जीव मात्र की ज़िम्मेदारी है?<br />अपने बंधनों को कैसे काटें?<br />बंधनों से मुक्ति कैसे पाएँ?<br />मुक्ति पथ पर कौन-कौन से समझौते करने पड़ते हैं?<br />बुल्लेशाह जी को कैसे समझें?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते